अहमदाबाद में सफलता की कहानी :
देश के 19 शहरों में बीआरटीएस का प्लान बना, लेकिन आकार सिर्फ 7में ही ले पाया। सबसे सफल हुआ अहमदाबाद में। यहां 2009 में शुरू हुए बीआरटीएस में रोज डेढ़ लाख यात्री सफर करते हैं। सफलता के कारण अब कॉरिडोर की लंबाई 89 से बढ़ाकर 125 किमी की जा रही है।
सफल क्यों -
- जरूरत के हिसाब से लचीलापन। जहां दिक्कत आईं, वहां डिजाइन में बदलाव तुरंत किया।
- कई कॉरिडोर, जो अलग-अलग क्षेत्रों को जोड़ते हैं।
- फ्लाईओवर और अंडरब्रिज भी बने हैं, जो ट्रैफिक कंट्रोल में मददगार।
- पीक टाइम में दो बसों का अंतर ढाई मिनट।
- हरियाली से समझौता, जिससे मुख्य वाहनों की परेशानी कम।
दिल्ली और पुणो में अनुभव खराब :
दिल्ली में वर्ष 2009 में बीआरटीएस शुरू हुआ। छोटे से हिस्से में शुरू होने के कारण असफल। हाईकोर्ट ने भी कॉरिडोर हटाने का आदेश दे दिया।
पुणो - देश में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पुणो में 2007 में शुरू हुआ। महज 6 किमी कॉरिडोर बना। लोगों ने इसे नकार दिया है।
देश के 19 शहरों में बीआरटीएस का प्लान बना, लेकिन आकार सिर्फ 7में ही ले पाया। सबसे सफल हुआ अहमदाबाद में। यहां 2009 में शुरू हुए बीआरटीएस में रोज डेढ़ लाख यात्री सफर करते हैं। सफलता के कारण अब कॉरिडोर की लंबाई 89 से बढ़ाकर 125 किमी की जा रही है।
सफल क्यों -
- जरूरत के हिसाब से लचीलापन। जहां दिक्कत आईं, वहां डिजाइन में बदलाव तुरंत किया।
- कई कॉरिडोर, जो अलग-अलग क्षेत्रों को जोड़ते हैं।
- फ्लाईओवर और अंडरब्रिज भी बने हैं, जो ट्रैफिक कंट्रोल में मददगार।
- पीक टाइम में दो बसों का अंतर ढाई मिनट।
- हरियाली से समझौता, जिससे मुख्य वाहनों की परेशानी कम।
दिल्ली और पुणो में अनुभव खराब :
दिल्ली में वर्ष 2009 में बीआरटीएस शुरू हुआ। छोटे से हिस्से में शुरू होने के कारण असफल। हाईकोर्ट ने भी कॉरिडोर हटाने का आदेश दे दिया।
पुणो - देश में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पुणो में 2007 में शुरू हुआ। महज 6 किमी कॉरिडोर बना। लोगों ने इसे नकार दिया है।
फेल क्यों :
कॉरिडोर की कम लंबाई होने के कारण लोग बसों में नहीं बैठे। क्योंकि वे इससे दूर स्थित अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच सकते थे। नतीजतन सड़कों पर टू-व्हीलर व कारों की संख्या में कमी नहीं आ पाई और जगह-जगह ट्रैफिक जाम की स्थिति बनने लगी। ऑटोमैटिक बस टिकटिंग, आधुनिक बस स्टॉप, पैडेस्ट्रियन क्रॉसिंग जैसी सुविधाओं की अनदेखी।
कॉरिडोर की कम लंबाई होने के कारण लोग बसों में नहीं बैठे। क्योंकि वे इससे दूर स्थित अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच सकते थे। नतीजतन सड़कों पर टू-व्हीलर व कारों की संख्या में कमी नहीं आ पाई और जगह-जगह ट्रैफिक जाम की स्थिति बनने लगी। ऑटोमैटिक बस टिकटिंग, आधुनिक बस स्टॉप, पैडेस्ट्रियन क्रॉसिंग जैसी सुविधाओं की अनदेखी।
मप्र में इस प्रोजेक्ट की अड़चनें :
- यहां नगर निगम ने कोई अलग कंपनी नहीं बनाई। दूसरे विभागों से तालमेल की कमी।
- कई स्थानों पर पार्किग की समस्या।
- मिक्स लेन की चौड़ाई कम। फुटओवर ब्रिज भी महज 16 स्थानों पर, जबकि हर बस स्टॉप पर इसकी जरूरत।
- पुराने शहर में सड़क की चौड़ाई पर्याप्त नहीं है। यहां फ्लाईओवर बनाने चाहिए थे।
- यहां नगर निगम ने कोई अलग कंपनी नहीं बनाई। दूसरे विभागों से तालमेल की कमी।
- कई स्थानों पर पार्किग की समस्या।
- मिक्स लेन की चौड़ाई कम। फुटओवर ब्रिज भी महज 16 स्थानों पर, जबकि हर बस स्टॉप पर इसकी जरूरत।
- पुराने शहर में सड़क की चौड़ाई पर्याप्त नहीं है। यहां फ्लाईओवर बनाने चाहिए थे।
विदेशों में कहां सफल...
बोगोटा में ट्रैफिक जाम से राहत:
वर्ष 2000 तक दुनिया में बीआरटीएस कहीं लोकप्रिय नहीं था। तब सिर्फ 16 शहरों में ही था। वर्ष 2000 में बोगोटा(कोलंबिया) में 104 किमी लंबा बीआरटीएस आते ही तेजी से विकास हुआ और ट्रैफिक जाम से राहत मिली। अब यहां एक ही दिशा में एक घंटे में 48 हजार यात्री सफर कर सकते हैं।
‘अहमदाबाद जन्मार्ग बस रैपिड ट्रांसिट सिस्टम’ का पूरा प्रारूप गुजरात
में तैयार होने के बाद इसे केंद्र सरकार को भी भेजा गया था। अहमदाबाद
बीआरटीएस के लिए गुजरात को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। गुजरात की मेगा
सिटी अहमदाबाद में बीआरटीएस के द्वारा एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए
पहले की तरह 40 मिनट के बजाए 11 मिनट में यह दूरी तय की जा सकती है।
अहमदाबाद बीआरटीएस के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ‘हम इस लिए सफल हुए, क्योंकि हमने दूसरों की गलती से सबक लिया’। सड़क परिवहन की व्यवस्था सुधारने के बाद गुजरात में तो अब जल मार्ग और मेट्रो पर भी काम शुरू हो गया है।
आज के समय में जहा एयरपोर्ट और स्पेशल ट्रेन सेवा के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं, वहीं गुजरात में मॉडर्न पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर जोर दिया जा रहा है।
बोगोटा में ट्रैफिक जाम से राहत:
वर्ष 2000 तक दुनिया में बीआरटीएस कहीं लोकप्रिय नहीं था। तब सिर्फ 16 शहरों में ही था। वर्ष 2000 में बोगोटा(कोलंबिया) में 104 किमी लंबा बीआरटीएस आते ही तेजी से विकास हुआ और ट्रैफिक जाम से राहत मिली। अब यहां एक ही दिशा में एक घंटे में 48 हजार यात्री सफर कर सकते हैं।
विदेशों में कहां सफल...
बोगोटा में ट्रैफिक जाम से राहत:
वर्ष 2000 तक दुनिया में बीआरटीएस कहीं लोकप्रिय नहीं था। तब सिर्फ 16 शहरों में ही था। वर्ष 2000 में बोगोटा(कोलंबिया) में 104 किमी लंबा बीआरटीएस आते ही तेजी से विकास हुआ और ट्रैफिक जाम से राहत मिली। अब यहां एक ही दिशा में एक घंटे में 48 हजार यात्री सफर कर सकते हैं।
बोगोटा में ट्रैफिक जाम से राहत:
वर्ष 2000 तक दुनिया में बीआरटीएस कहीं लोकप्रिय नहीं था। तब सिर्फ 16 शहरों में ही था। वर्ष 2000 में बोगोटा(कोलंबिया) में 104 किमी लंबा बीआरटीएस आते ही तेजी से विकास हुआ और ट्रैफिक जाम से राहत मिली। अब यहां एक ही दिशा में एक घंटे में 48 हजार यात्री सफर कर सकते हैं।
सफल क्यों :
हर दो मिनट में बस मिलती है। कॉरिडोर के साइड में ही ऊंची इमारतों का प्रावधान, ताकि ज्यादा लोग बसों का उपयोग कर सकें। पर्याह्रश्वत संख्या में बस स्टॉप। फुटओवर ब्रिज, एसी बसें, ऑटोमैटिक टिकटिंग समेत यात्रियों के लिए ढेरों सुविधाएं।
हर दो मिनट में बस मिलती है। कॉरिडोर के साइड में ही ऊंची इमारतों का प्रावधान, ताकि ज्यादा लोग बसों का उपयोग कर सकें। पर्याह्रश्वत संख्या में बस स्टॉप। फुटओवर ब्रिज, एसी बसें, ऑटोमैटिक टिकटिंग समेत यात्रियों के लिए ढेरों सुविधाएं।
यहां भी सफल रहा :
पेरिस, चीन, कैम्ब्रिज, क्यूर्टिबा, इस्तांबुल, ग्वांगझू आदि। लैटिन अमेरिकी देशों में ज्यादा लोकप्रिय।
पेरिस, चीन, कैम्ब्रिज, क्यूर्टिबा, इस्तांबुल, ग्वांगझू आदि। लैटिन अमेरिकी देशों में ज्यादा लोकप्रिय।
अहमदाबाद बीआरटीएस के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ‘हम इस लिए सफल हुए, क्योंकि हमने दूसरों की गलती से सबक लिया’। सड़क परिवहन की व्यवस्था सुधारने के बाद गुजरात में तो अब जल मार्ग और मेट्रो पर भी काम शुरू हो गया है।
आज के समय में जहा एयरपोर्ट और स्पेशल ट्रेन सेवा के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं, वहीं गुजरात में मॉडर्न पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर जोर दिया जा रहा है।
योजना के सफलता का कारण..
अहमदाबाद बीआरटीएस का इस्तेमाल रोज़ तकरीबन 1,00,000 लोग करते हैं।
बीआरटीएस के एक अधिकारी के मुताबिक पेट्रोल की दार में बढ़ोतरी के बाद बीआरटीएस के इस्तेमाल करने वाले कार्ड धारको की संख्या में इजाफा हुआ है। पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद बीआरटीएस में सफर करने वाले लोगो में प्रति दिन 10,000 का इजाफा हुआ है। इससे पहले रोज़ 1,10,000 लोग बीआरटीएस में सफर करते थे। यह संख्या अब 1,50,000 प्रति दिन हो गई है। इसी को ध्यान में रखते हुए किराए में मामूली बढ़ोतरी की गई है।
अहमदाबाद बीआरटीएस का इस्तेमाल रोज़ तकरीबन 1,00,000 लोग करते हैं।
बीआरटीएस के एक अधिकारी के मुताबिक पेट्रोल की दार में बढ़ोतरी के बाद बीआरटीएस के इस्तेमाल करने वाले कार्ड धारको की संख्या में इजाफा हुआ है। पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद बीआरटीएस में सफर करने वाले लोगो में प्रति दिन 10,000 का इजाफा हुआ है। इससे पहले रोज़ 1,10,000 लोग बीआरटीएस में सफर करते थे। यह संख्या अब 1,50,000 प्रति दिन हो गई है। इसी को ध्यान में रखते हुए किराए में मामूली बढ़ोतरी की गई है।
किस प्रकार से यह कार्य पूरा किया गया..
पहले 3 महीनों के लिए अहमदाबाद नगर निगम ने छात्रों, शिक्षक, पत्रकार और बड़े उद्योगपतिओं को निशुल्क बीआरटीएस पर यात्रा कर सुझाव देने को कहा गया। दिए गए सभी सुझावों को अमल में भी लाया गया। अहमदाबाद बीआरटीएस की सफलता का प्रमाण उसका बनाया गया प्रारूप, फिर चाहे वो बस स्टैंड का शेल्टर हो, सड़क हो, कम्पूटर ट्राफिक कंट्रोल मैनेजमेंट और सिग्नल कण्ट्रोल सिस्टम है।
पहले 3 महीनों के लिए अहमदाबाद नगर निगम ने छात्रों, शिक्षक, पत्रकार और बड़े उद्योगपतिओं को निशुल्क बीआरटीएस पर यात्रा कर सुझाव देने को कहा गया। दिए गए सभी सुझावों को अमल में भी लाया गया। अहमदाबाद बीआरटीएस की सफलता का प्रमाण उसका बनाया गया प्रारूप, फिर चाहे वो बस स्टैंड का शेल्टर हो, सड़क हो, कम्पूटर ट्राफिक कंट्रोल मैनेजमेंट और सिग्नल कण्ट्रोल सिस्टम है।
शहरी परिवहन योजना :
अहमदाबाद में बीआरटीएस का प्रारूप तैयार करने के लिए अर्थशास्त्री, एवं अर्बन प्लानर तथा सीइपीटी विश्विद्यालय में एसोसिएट डायरेक्टर प्रोफ. शिवानन्द स्वामी ने कॉरिडोर और फीडर सेवा का अभ्यास कर बीआरटीएस को डिजाइन किया। बस के लिए अलग लाइन बनाने के साथ ही पैदल चलने वालो के लिए और साइकिल रिक्सा वालों के लिए भी डेडिकेटेड लाइन बनायीं गई हैं।
अहमदाबाद। आधुनिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम। कम लागत। कम खर्चा।
लिहाजा दुनिया के 140 अन्य शहरों की तरह भारत में अहमदाबाद, दिल्ली और
भोपाल समेत सभी बड़े शहरों में इसकी पहल की गई। लेकिन यह प्रोजेक्ट सिर्फ
गुजरात की मेगा सिटी अहमदाबाद में ही सफल हुआ, बाकी अन्य जगहों पर यह
प्रोजेक्ट वहां की सरकारों के लिए गले की फांस बन गया।
सीधे शब्दों में कहा जाए तो भविष्य का शहर वही है, जो आने वाले कल की चुनौतियों को आज ही पहचान ले। अहमदाबाद ने भी अपनी तेजी से बढ़ती आबादी से बखूबी निपटा है। आज जहां ज्यादातर मेट्रो शहरों में ट्रैफिक जाम बड़ी परेशानी है, वहीं अहमदाबाद में इसका नामों निशान तक नहीं दिखता। यहां का बीआरटीएस परफेक्ट प्लानिंग की एक बेहतरीन मिसाल है।
अहमदाबाद में जब प्रोजेक्ट सफल हुआ तो अन्य राज्य सरकारों ने भी इसे हाथों-हाथ लिया। फिलहाल यह प्रोजेक्ट मप्र के भोपाल में जोर-शोर से चल रहा है।
गत सप्ताह भोपाल की एक होटल में आयोजित मायबस कॉन्फ्रेंस में आए विशेषज्ञों ने भी इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए अहमदाबाद का उदाहरण दिया। कोलंबिया से आए विशेषज्ञ डेरिओ हिडाल्गो ने जोर देते हुए अहमदाबाद और बोगोटा शहर का नाम लिया।
‘अहमदाबाद जन्मार्ग बस रैपिड ट्रांसिट सिस्टम’ का पूरा प्रारूप गुजरात में तैयार होने के बाद इसे केंद्र सरकार को भी भेजा गया था। अहमदाबाद बीआरटीएस के लिए गुजरात को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। गुजरात की मेगा सिटी अहमदाबाद में बीआरटीएस के द्वारा एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए पहले की तरह 40 मिनट के बजाए 11 मिनट में यह दूरी तय की जा सकती है।
अहमदाबाद बीआरटीएस के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ‘हम इसलिए सफल हुए, क्योंकि हमने दूसरों की गलती से सबक लिया’। सड़क परिवहन की व्यवस्था सुधारने के बाद गुजरात में तो अब जल मार्ग और मेट्रो पर भी काम शुरू हो गया है। आज के समय में जहा एयरपोर्ट और स्पेशल ट्रेन सेवा के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं, वहीं गुजरात में मॉडर्न पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर जोर दिया जा रहा है।
अहमदाबाद। आधुनिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम। कम लागत। कम खर्चा।
लिहाजा दुनिया के 140 अन्य शहरों की तरह भारत में अहमदाबाद, दिल्ली और
भोपाल समेत सभी बड़े शहरों में इसकी पहल की गई। लेकिन यह प्रोजेक्ट सिर्फ
गुजरात की मेगा सिटी अहमदाबाद में ही सफल हुआ, बाकी अन्य जगहों पर यह
प्रोजेक्ट वहां की सरकारों के लिए गले की फांस बन गया।
सीधे शब्दों में कहा जाए तो भविष्य का शहर वही है, जो आने वाले कल की चुनौतियों को आज ही पहचान ले। अहमदाबाद ने भी अपनी तेजी से बढ़ती आबादी से बखूबी निपटा है। आज जहां ज्यादातर मेट्रो शहरों में ट्रैफिक जाम बड़ी परेशानी है, वहीं अहमदाबाद में इसका नामों निशान तक नहीं दिखता। यहां का बीआरटीएस परफेक्ट प्लानिंग की एक बेहतरीन मिसाल है।
अहमदाबाद में जब प्रोजेक्ट सफल हुआ तो अन्य राज्य सरकारों ने भी इसे हाथों-हाथ लिया। फिलहाल यह प्रोजेक्ट मप्र के भोपाल में जोर-शोर से चल रहा है।
गत सप्ताह भोपाल की एक होटल में आयोजित मायबस कॉन्फ्रेंस में आए विशेषज्ञों ने भी इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए अहमदाबाद का उदाहरण दिया। कोलंबिया से आए विशेषज्ञ डेरिओ हिडाल्गो ने जोर देते हुए अहमदाबाद और बोगोटा शहर का नाम लिया।
‘अहमदाबाद जन्मार्ग बस रैपिड ट्रांसिट सिस्टम’ का पूरा प्रारूप गुजरात में तैयार होने के बाद इसे केंद्र सरकार को भी भेजा गया था। अहमदाबाद बीआरटीएस के लिए गुजरात को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। गुजरात की मेगा सिटी अहमदाबाद में बीआरटीएस के द्वारा एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए पहले की तरह 40 मिनट के बजाए 11 मिनट में यह दूरी तय की जा सकती है।
अहमदाबाद बीआरटीएस के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ‘हम इसलिए सफल हुए, क्योंकि हमने दूसरों की गलती से सबक लिया’। सड़क परिवहन की व्यवस्था सुधारने के बाद गुजरात में तो अब जल मार्ग और मेट्रो पर भी काम शुरू हो गया है। आज के समय में जहा एयरपोर्ट और स्पेशल ट्रेन सेवा के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं, वहीं गुजरात में मॉडर्न पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर जोर दिया जा रहा है।
अहमदाबाद। आधुनिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम। कम लागत। कम खर्चा।
लिहाजा दुनिया के 140 अन्य शहरों की तरह भारत में अहमदाबाद, दिल्ली और
भोपाल समेत सभी बड़े शहरों में इसकी पहल की गई। लेकिन यह प्रोजेक्ट सिर्फ
गुजरात की मेगा सिटी अहमदाबाद में ही सफल हुआ, बाकी अन्य जगहों पर यह
प्रोजेक्ट वहां की सरकारों के लिए गले की फांस बन गया।
सीधे शब्दों में कहा जाए तो भविष्य का शहर वही है, जो आने वाले कल की चुनौतियों को आज ही पहचान ले। अहमदाबाद ने भी अपनी तेजी से बढ़ती आबादी से बखूबी निपटा है। आज जहां ज्यादातर मेट्रो शहरों में ट्रैफिक जाम बड़ी परेशानी है, वहीं अहमदाबाद में इसका नामों निशान तक नहीं दिखता। यहां का बीआरटीएस परफेक्ट प्लानिंग की एक बेहतरीन मिसाल है।
अहमदाबाद में जब प्रोजेक्ट सफल हुआ तो अन्य राज्य सरकारों ने भी इसे हाथों-हाथ लिया। फिलहाल यह प्रोजेक्ट मप्र के भोपाल में जोर-शोर से चल रहा है।
गत सप्ताह भोपाल की एक होटल में आयोजित मायबस कॉन्फ्रेंस में आए विशेषज्ञों ने भी इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए अहमदाबाद का उदाहरण दिया। कोलंबिया से आए विशेषज्ञ डेरिओ हिडाल्गो ने जोर देते हुए अहमदाबाद और बोगोटा शहर का नाम लिया।
‘अहमदाबाद जन्मार्ग बस रैपिड ट्रांसिट सिस्टम’ का पूरा प्रारूप गुजरात में तैयार होने के बाद इसे केंद्र सरकार को भी भेजा गया था। अहमदाबाद बीआरटीएस के लिए गुजरात को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। गुजरात की मेगा सिटी अहमदाबाद में बीआरटीएस के द्वारा एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए पहले की तरह 40 मिनट के बजाए 11 मिनट में यह दूरी तय की जा सकती है।
अहमदाबाद बीआरटीएस के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ‘हम इसलिए सफल हुए, क्योंकि हमने दूसरों की गलती से सबक लिया’। सड़क परिवहन की व्यवस्था सुधारने के बाद गुजरात में तो अब जल मार्ग और मेट्रो पर भी काम शुरू हो गया है। आज के समय में जहा एयरपोर्ट और स्पेशल ट्रेन सेवा के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं, वहीं गुजरात में मॉडर्न पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर जोर दिया जा रहा है।
अहमदाबाद में बीआरटीएस का प्रारूप तैयार करने के लिए अर्थशास्त्री, एवं अर्बन प्लानर तथा सीइपीटी विश्विद्यालय में एसोसिएट डायरेक्टर प्रोफ. शिवानन्द स्वामी ने कॉरिडोर और फीडर सेवा का अभ्यास कर बीआरटीएस को डिजाइन किया। बस के लिए अलग लाइन बनाने के साथ ही पैदल चलने वालो के लिए और साइकिल रिक्सा वालों के लिए भी डेडिकेटेड लाइन बनायीं गई हैं।
कॉरिडोर्स :
बीआरटीएस सिस्टम शाखाबध तरीके से काम करता है। जिसके तहत मुख्य सड़क मार्ग के साथ ही कम्प्लिमेंट्री रूट्स और बीआरटीएस फीडर रूट्स भी शामिल हैं।
बीआरटीएस सिस्टम शाखाबध तरीके से काम करता है। जिसके तहत मुख्य सड़क मार्ग के साथ ही कम्प्लिमेंट्री रूट्स और बीआरटीएस फीडर रूट्स भी शामिल हैं।
अहमदाबाद जन्मर्ग लिमिटेड :
अहमदाबाद जन्मर्ग लिमिटेड ही बीआरटीएस का संचालन करेगी। अहमदाबाद नगर निगम, अहमदाबाद अर्बन डव्हपलपमेंट ऑथोरिटी और गुजरात सरकार ने बीआरटीएस को स्पेशल परपस वेहिकल का दर्जा दिया है। फिलहाल चुने गए निजी बस ओपेरटर इस बस सेवा को चला रहे हैं। आने वाले समय में रोज यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए स्मार्ट कार्ड की सुविधा भी शुरू की जाएगी। लोग स्मार्ट कार्ड को हर महीने बनने वाले पास के तरह ही इस्तेमाल कर पाएंगे।
अहमदाबाद जन्मर्ग लिमिटेड ही बीआरटीएस का संचालन करेगी। अहमदाबाद नगर निगम, अहमदाबाद अर्बन डव्हपलपमेंट ऑथोरिटी और गुजरात सरकार ने बीआरटीएस को स्पेशल परपस वेहिकल का दर्जा दिया है। फिलहाल चुने गए निजी बस ओपेरटर इस बस सेवा को चला रहे हैं। आने वाले समय में रोज यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए स्मार्ट कार्ड की सुविधा भी शुरू की जाएगी। लोग स्मार्ट कार्ड को हर महीने बनने वाले पास के तरह ही इस्तेमाल कर पाएंगे।
अहमदाबाद को मिल चुके अब तक के अवार्ड्स :
- जन्मर्ग टेक्स अहमदाबाद टू एलिईट ग्लोबल क्लब
- अहमदाबाद (बीआरटीएस), इंडिया विन्स (ग्लोबल) 2010 ससटेनएबल ट्रांसपोर्ट अवार्ड
- अहमदाबाद जन्मर्ग बीआरटीएस ब्रिंग्स होनौर टू गुजरात, 2009
- जन्मर्ग टेक्स अहमदाबाद टू एलिईट ग्लोबल क्लब
- अहमदाबाद (बीआरटीएस), इंडिया विन्स (ग्लोबल) 2010 ससटेनएबल ट्रांसपोर्ट अवार्ड
- अहमदाबाद जन्मर्ग बीआरटीएस ब्रिंग्स होनौर टू गुजरात, 2009
सीधे शब्दों में कहा जाए तो भविष्य का शहर वही है, जो आने वाले कल की चुनौतियों को आज ही पहचान ले। अहमदाबाद ने भी अपनी तेजी से बढ़ती आबादी से बखूबी निपटा है। आज जहां ज्यादातर मेट्रो शहरों में ट्रैफिक जाम बड़ी परेशानी है, वहीं अहमदाबाद में इसका नामों निशान तक नहीं दिखता। यहां का बीआरटीएस परफेक्ट प्लानिंग की एक बेहतरीन मिसाल है।
अहमदाबाद में जब प्रोजेक्ट सफल हुआ तो अन्य राज्य सरकारों ने भी इसे हाथों-हाथ लिया। फिलहाल यह प्रोजेक्ट मप्र के भोपाल में जोर-शोर से चल रहा है।
गत सप्ताह भोपाल की एक होटल में आयोजित मायबस कॉन्फ्रेंस में आए विशेषज्ञों ने भी इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए अहमदाबाद का उदाहरण दिया। कोलंबिया से आए विशेषज्ञ डेरिओ हिडाल्गो ने जोर देते हुए अहमदाबाद और बोगोटा शहर का नाम लिया।
‘अहमदाबाद जन्मार्ग बस रैपिड ट्रांसिट सिस्टम’ का पूरा प्रारूप गुजरात में तैयार होने के बाद इसे केंद्र सरकार को भी भेजा गया था। अहमदाबाद बीआरटीएस के लिए गुजरात को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। गुजरात की मेगा सिटी अहमदाबाद में बीआरटीएस के द्वारा एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए पहले की तरह 40 मिनट के बजाए 11 मिनट में यह दूरी तय की जा सकती है।
अहमदाबाद बीआरटीएस के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ‘हम इसलिए सफल हुए, क्योंकि हमने दूसरों की गलती से सबक लिया’। सड़क परिवहन की व्यवस्था सुधारने के बाद गुजरात में तो अब जल मार्ग और मेट्रो पर भी काम शुरू हो गया है। आज के समय में जहा एयरपोर्ट और स्पेशल ट्रेन सेवा के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं, वहीं गुजरात में मॉडर्न पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर जोर दिया जा रहा है।
सीधे शब्दों में कहा जाए तो भविष्य का शहर वही है, जो आने वाले कल की चुनौतियों को आज ही पहचान ले। अहमदाबाद ने भी अपनी तेजी से बढ़ती आबादी से बखूबी निपटा है। आज जहां ज्यादातर मेट्रो शहरों में ट्रैफिक जाम बड़ी परेशानी है, वहीं अहमदाबाद में इसका नामों निशान तक नहीं दिखता। यहां का बीआरटीएस परफेक्ट प्लानिंग की एक बेहतरीन मिसाल है।
अहमदाबाद में जब प्रोजेक्ट सफल हुआ तो अन्य राज्य सरकारों ने भी इसे हाथों-हाथ लिया। फिलहाल यह प्रोजेक्ट मप्र के भोपाल में जोर-शोर से चल रहा है।
गत सप्ताह भोपाल की एक होटल में आयोजित मायबस कॉन्फ्रेंस में आए विशेषज्ञों ने भी इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए अहमदाबाद का उदाहरण दिया। कोलंबिया से आए विशेषज्ञ डेरिओ हिडाल्गो ने जोर देते हुए अहमदाबाद और बोगोटा शहर का नाम लिया।
‘अहमदाबाद जन्मार्ग बस रैपिड ट्रांसिट सिस्टम’ का पूरा प्रारूप गुजरात में तैयार होने के बाद इसे केंद्र सरकार को भी भेजा गया था। अहमदाबाद बीआरटीएस के लिए गुजरात को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। गुजरात की मेगा सिटी अहमदाबाद में बीआरटीएस के द्वारा एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए पहले की तरह 40 मिनट के बजाए 11 मिनट में यह दूरी तय की जा सकती है।
अहमदाबाद बीआरटीएस के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ‘हम इसलिए सफल हुए, क्योंकि हमने दूसरों की गलती से सबक लिया’। सड़क परिवहन की व्यवस्था सुधारने के बाद गुजरात में तो अब जल मार्ग और मेट्रो पर भी काम शुरू हो गया है। आज के समय में जहा एयरपोर्ट और स्पेशल ट्रेन सेवा के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं, वहीं गुजरात में मॉडर्न पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर जोर दिया जा रहा है।
सीधे शब्दों में कहा जाए तो भविष्य का शहर वही है, जो आने वाले कल की चुनौतियों को आज ही पहचान ले। अहमदाबाद ने भी अपनी तेजी से बढ़ती आबादी से बखूबी निपटा है। आज जहां ज्यादातर मेट्रो शहरों में ट्रैफिक जाम बड़ी परेशानी है, वहीं अहमदाबाद में इसका नामों निशान तक नहीं दिखता। यहां का बीआरटीएस परफेक्ट प्लानिंग की एक बेहतरीन मिसाल है।
अहमदाबाद में जब प्रोजेक्ट सफल हुआ तो अन्य राज्य सरकारों ने भी इसे हाथों-हाथ लिया। फिलहाल यह प्रोजेक्ट मप्र के भोपाल में जोर-शोर से चल रहा है।
गत सप्ताह भोपाल की एक होटल में आयोजित मायबस कॉन्फ्रेंस में आए विशेषज्ञों ने भी इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए अहमदाबाद का उदाहरण दिया। कोलंबिया से आए विशेषज्ञ डेरिओ हिडाल्गो ने जोर देते हुए अहमदाबाद और बोगोटा शहर का नाम लिया।
‘अहमदाबाद जन्मार्ग बस रैपिड ट्रांसिट सिस्टम’ का पूरा प्रारूप गुजरात में तैयार होने के बाद इसे केंद्र सरकार को भी भेजा गया था। अहमदाबाद बीआरटीएस के लिए गुजरात को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। गुजरात की मेगा सिटी अहमदाबाद में बीआरटीएस के द्वारा एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए पहले की तरह 40 मिनट के बजाए 11 मिनट में यह दूरी तय की जा सकती है।
अहमदाबाद बीआरटीएस के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ‘हम इसलिए सफल हुए, क्योंकि हमने दूसरों की गलती से सबक लिया’। सड़क परिवहन की व्यवस्था सुधारने के बाद गुजरात में तो अब जल मार्ग और मेट्रो पर भी काम शुरू हो गया है। आज के समय में जहा एयरपोर्ट और स्पेशल ट्रेन सेवा के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं, वहीं गुजरात में मॉडर्न पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर जोर दिया जा रहा है।
Source: http://www.bhaskar.com/article-hf/GUJ-AHM-brts-project-success-in-gujarat-only-4314492-PHO.html?seq=1
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